सुलगते प्राण : उस की एक बूँद भर आई थी मेरे हिस्से उस सावन ,न था मेरा
सूना समन्दर उसके लायक ।ढूंढते यह प्राण उस प्यास की वह धडकन जो तलाशती
अपनी भूली लय ताल।मुँह फाडे खडा एक एक स्वर मेरे प्राण का । कुछ तो उपाय
बैठे, कर सकूँ ग्रहण वह जन्मों से विस्मृत बूँद को ।न हूँ सामर्थ्यवान यदि
,कर दे अनंत काल से श्रापित इस कुंड को महासमुद्र,समा सकूँ तुझ बूँद का
विशाल ममत्व, नहीं तो कर दे इस धधकते प्राण को सूक्ष्मतम से सूक्ष्मतर, हो
सकें यह सुलगते प्राण कुछ नरम तुझ तक ।हो न पायेगा यह प्राण सुसज्जित उस
बूँद से , हो गया सामान तैयार बस्तियां उठाने को।
Astrologer Money Dhasmana
+91-99199-3-5555
Astrologer Money Dhasmana
+91-99199-3-5555
No comments:
Post a Comment