असमर्थ वृक्ष : खडा था मैं दो गाँवों की सीमा बीच ।कभी विभाजित इस ओर से उस ओर से मुझ ठौर।था खीचता यह त्रिकोण मेरी हर शाख।
आई सुदूर प्रांत से एक सुगंधित सी किरण , देख असमर्थ हुआ मैं समझने में उस नरमी को। ताकता फिर विशाल अचरजगी से सब तमाशा, ढूंढता रहा जीवन भर यह नरमी का खजाना।दिखती तो जरूर थी उस बूँद की चमक उस क्षितिज पार, पर पा गया था खोना अपने बटवारे का इस मोड पर। आज ये पुष्प इस डाल पे है फूटता बतलाने को तैयार, अपने विवाह का भी निमंत्रण हो रहा तैयार।
अब तो ले जाओ गाँव वालों इसका हर एक पत्ता पत्ता,और भेज दो सबको निमंत्रण उस असमर्थ की विदाई का।
Astrologer Money Dhasmana
+91-99199-3-5555
www.astrologermoneydhasmana.in
आई सुदूर प्रांत से एक सुगंधित सी किरण , देख असमर्थ हुआ मैं समझने में उस नरमी को। ताकता फिर विशाल अचरजगी से सब तमाशा, ढूंढता रहा जीवन भर यह नरमी का खजाना।दिखती तो जरूर थी उस बूँद की चमक उस क्षितिज पार, पर पा गया था खोना अपने बटवारे का इस मोड पर। आज ये पुष्प इस डाल पे है फूटता बतलाने को तैयार, अपने विवाह का भी निमंत्रण हो रहा तैयार।
अब तो ले जाओ गाँव वालों इसका हर एक पत्ता पत्ता,और भेज दो सबको निमंत्रण उस असमर्थ की विदाई का।
Astrologer Money Dhasmana
+91-99199-3-5555
www.astrologermoneydhasmana.in
No comments:
Post a Comment