Friday 13 February 2015

अंधा प्रकाश

अंधा प्रकाश  :  आ रही थी कुछ सुगंध उसके होने से,था मैं भी उत्साहित उसके रंग में रंगने से।मिल रहा था कुछ अद्वितीय, गुलाबी सा क्षितिज आभासाता जैसे।साथ साथ उस से था प्रकाशित एक सुगंधित इन्द्रधनुष, जो ले जाता ता मुझ अधेड     
को नवजात के परे। कर जाता झंकारित उसका हर एक तार तार।थे बादल नयन मेरे चलते रस्तों के तले ।देख देख तेरे सूर्य को मैं मचलता हूँ अपने इस तहखाने से।अब देख ले एै सूरज तेरी बेबसी ,है  तेरा एक तारा कैद में तेरी।दाग अपनी किरण एक हृदय से अपनी  कर सकूँगा ग्रहणशीलता विस्तारित ,ताकि कर सकूँ प्रकाशित तेरी एक एक किरण ।तू है तेजवान इतना की हो गया है अब अंधा ।मिले मुझे कुछ दिये यदि,तो आऊंगा तेरी किरण को दिखाने रास्ता ताकि पहुँच सके तू उस उस तक जो न पहुंच सके तुझ तक।



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