नेत्रद्वारीय ब्रह्मांड : यह ढूंढता था वो हमेशा से मेरा तूफान की थमे कहीं
जाकर किसी सूर्य के गर्भ में।हो गया अब इस निष्पथ तूफान का अमार्गीय
दिशाओं की नाव पर यात्रा का आयोजन । यह ताकता था अचरझ से इन नेत्रों की
तलहटी से उस आकाशीय द्वीप की हरियाली । धुंधमय था वह सागर उस पार ,मारता
रहता है हाथपैर इन नयनों की लहरों के थपेड़ों में,यह सोच हो जाती है यह
अग्निमय तलहटी पार। धीरे धीरे एक स्वरणिम रस्सी लटकाई उसने चुपके से, उस
रस्सी का चुम्बन हुआ इन नेत्रों के हृदय केंद्र, और खींच लिए इन चक्षुओं के
सुलगते कोयले । दोनों कम्मपायमान हो खिंचने लगे उस उपरिलिखित कवितामय लोक।
हो गया था यह तूफान उत्साहित देख यह नवीन भूमिहीन आधार।झाँक रहा है यह
नेत्रों के द्वार से उस पार के महासूर्य के प्रकाशित पुष्पवाटिका की सुगंध
को । इस नेत्र की सुरंगें निरंतर ले जाती उस ब्रह्मांड खेलने उस सागर के आर
पार।
Astrologer Money Dhasmana
+91-99199-3-5555
www.astrologermoneydhasmana.in
Astrologer Money Dhasmana
+91-99199-3-5555
www.astrologermoneydhasmana.in